Wednesday, October 26, 2011

अवांच्छित पाहुन (५)




सर्व-प्रथम संग्रहालय देख' गेलहुं। सामने में अशोक स्तम्भ देखि अप्रतिम आनंदक अनुभव भेल। राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह'क श्रोत प्रत्यक्ष ठाढ़ छल। सम्पूर्ण संग्रहालय'क भ्रमण केलहुं। एके ठाम भगवान् बुद्ध'क असंख्य प्रतीक देखि मोन आह्लादित भ' गेल। पुनः खुदाई स्थल पर गेलहुं। जतय स' अशोक स्तम्भ टूटिक' निकलल छैक ओ स्थान देखलहुं। पुनः बुद्ध स्तूप, बुद्ध मंदिर जतय भगवान् अपन प्रथम पांच शिष्य के उपदेश देने छलथिन्ह ओतय गेलहुं। भगवान् ओही पांचो व्यक्ति के जे हुनकर घोर विरोधी छलनि तकरे कियैक प्रथम शिष्य बनेलनि ई विचारणीय विषय अछि। संभवतः ओहि पांचो के सत्य पथ पर पूर्वे स' अग्रसर देखि ई निर्णय लेने हेताह। अथवा ज्ञान प्राप्तिक जांच अपन घोर विरोधिक हृदय जीतव जानि ई निर्णय केलनि। तत्पश्चात्  मृगवन गेलहुं। ओतय जानवर सब स्वक्षंद विचरण क' रहल छल। हरिण'क पर्याप्त संख्याक कारणे अहि स्थान'क नाम मृगदाव अछि । एकटा  गाइड ठकवाक पूरा प्रयास केलक जकर चर्चा बाद में करब। ----बाद में पुनः।

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