Wednesday, May 24, 2023
गामक भ्रमण
आइ गाममे पुबारीभागक जलपा कलम दिस प्रातःकालीन भ्रमण पर निकललहुँ । बाध दिस जमाना पर गेल छलहुँ । बाल्यकालक संस्मरण जाग्रत भ' उठल । ब्रह्मस्थान, खबासक पोखरि, ककरियाही, गजारी बाध आ जलपा कलम.... आदिक एक-एक बात ओहिना याद अछि ।
एखन जूरसितल 14-15 अप्रैल क' बीतल अछि, गाममे कोनो जीवंतता नहि बुझायल । पहिने जूरसितल दिन भोरे सँ चहल-पहल रहैत छल, जुड़ाब'बाली बुड़हीसब सुतले सँ जुड़बैत छलीह, ऐ बेर किछु नै बुझायल । पूर्वमे लोकसब चौकी, पलंग, खाट, केबार, खाट, सफरी, कुर्सी-टेबुल... सबके पोखरिमे डुबाक' ख़ूब नीकसँ साफ करैत छलाह । सब गाछक जड़िमे जल द' जुड़बैत छलाह, कियो-कियो किछु खानापूर्ति करैत बुझयलाह ।
तकर बादक तँ कोनो कार्यक्रमे ने देखलहुँ । गोबर-माटि-गदौस-थाल-कादो सबहक तँ कोनो नामे ने! ने युवावर्गक जोस आ ने उमंग, रस्ता सबहक सफाइयो नै भेल ।
दुपहरमे खबासक पोखरिमे दछिनबारि टोल आ उतरबारि टोलक बीच पाइन-पाइनक खेल होइत छल, प्रतिपक्षीके बिना हरदा बजेने नै छोड़ैत छल, सबहक आँखि लाल-लाल भ' जाइत छल ।
पाइन झोंकब प्रतियोगिताक बाद उतरबरिया भीरपर ब्रह्मबाबाक प्रांगणमे दुनू टोलक कुश्ती प्रतियोगिता होइत छल । तत्पश्चात् बेरूपहर लोक शिकार खेलाय जाइत छल । गामक उत्तरभाग तथा दक्षिणभागमे करपुर वा दोस्तपुर संगे फ्रेंडली ढेपाउज होइत छल । मुदा कहियो काल बेसी झगड़ा भ' जाइत छल । मुदा आब किछुओ नै होइत अछि ।
ओना एकटा बात तँ नीके भेल जे शिकार आ ढ़ेपाउज बन्द भ' गेल, जीव-जन्तुक हत्या पर प्रतिबंध तँ छैके तएँ ओकर अनुपालन करब अनिवार्य अछि । ढ़ेपाउज ततेक विभत्स रूप ल' लेने छल जे भाला, गणास, तीर सब चल' लागल छल आ लोकसब घायल होम' लागल छल । बेल्हबाड आ नाजिरपुरमे तँ भाला लगला सँ मरबाक दुर्घटनातक सुनने छलहुँ ।
हलाँकि गोबर-माटि, पाइन-पाइन, कुस्ती-कुस्ती... प्रतियोगितासबसँ जीवन्तता बुझाइत छल ।
आजुक धीया-पुतासबकें तँ ई बात सब खिस्सा-पिहानी आ असभ्यता जेकाँ बुझेतनि । मुदा जिनगीके नैराश्यसँ बचेबाकलेल, आपसमे स्नेह बढ़ेबाक लेल आ जीवन्तता बनल रहबाक लेल पाबनि-तिहारक क्रियाकलाप आवश्यक रहैछ । तकरा अभावमे शहरी स्वार्थपरता, एकाकीपन आ नैराश्य गामोमे पइस रहल अछि जे गामोसबके शहरे जेकाँ बना देत जत' लोकके बरखो-बर्खतक पड़ोसियोसँ परिचय नै रहैत छैक ।
ब्रह्मस्थानक चर्च आयल अछि । हमरा गामक ब्रह्म बहुत जाग्रत आ परोपकारी छलाह । भूत-प्रेतक प्रकोप, कोनो तरहक बेमारी, चोइर-डकैती.... इत्यादि सबहक निदान ब्रह्म क' दैत छलाह । साँझखनक' चौपारि पर परोपट्टाक फरियादीसबहक मेला लागल रहैत छल आ सबहक समस्याक निदान ब्रह्म करैत छलथिन्ह । लगभग चौसठि बर्खसँ खबासक पोखरिक उतरबरिया भीरपर अवस्थित ब्रह्मस्थानमे नवाह संकीर्णतन भ' रहल अछि ।
खबासक पोखरिक चर्च भेल अछि । ई पोखरि करमौलीग्राम निवासी राजक खबास(स्व0 लछुमन खबास)क खुनाओल छन्हि । राज दड़िभंगा द्वारा लछुमन खबासके 1100 बिग्घा डोकहर मौजे भेटल छलन्हि । करमौलीसँ डोकहर भगवतीस्थानधरि खबास अनका जमीन पर पएर नै दैत छलाह । खबासेक विशालकाय पोखरिमे जूरसितलक पाइन-पाइन होइत छल ।
ककरियाहीक चर्च भेल अछि । ई बड्ड गँहीर डबरा अछि । सम्पूर्ण गामक माटि-माँगर(उपनयनक चुलहा हेतु...) अहीक माटिसँ होइछ । सम्भवतः,जखन गाममे पोखरि नै छल हेतैक तँ यएह सबहक आश्रय छल हेतैक ।
मात्र उत्तमताके देखी
कोनो व्यक्तिक प्रति एके रंग
धारणा राखब उचित नै ।
एके रंग व्यवहार सबहक
संगमे हो जरूरी नै ।।
भ' सकै अछि अहाँ लेल ओ
श्रेष्ठ सहयोगी बनय ।
काट जहरक होइछ जहरे
कष्ट अपनेके हरय ।।
सब ने उत्तम भ' सकै अछि
किछु ने किछु उत्तम हो सबमे ।
मात्र उत्तमता के देखी
ऐबटा नै लखी सबमे ।।
दृष्टि जँ गुणपर रहत तँ
गुणे टा अपनोमे आयत,
ऐब टा पर ध्यान देब तँ
अहूँमे अवगुणे आयत ।।
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शूक्ष्मता
ईशसँ अछि कामना
हमरासँ होमय हिते अनकर ।
स्वप्नमे सेहो ने कहियो
करी सोचल अहित अनकर ।।
लोकके कल्याणमे हम
नित्यप्रति लागल रही ।
प्रचारक नै काज, गुप्ते-
लोकहित साधल करी ।।
शूक्ष्मता के किमपि नै
परतर करत स्थूलता ।
पड़य भारी बाह्यता पर
ऋषिगणक अति शूक्ष्मता ।।
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स्वयं लग रहबाक अछि
हस्तरेखा विशारद लग नै
जरूरी जयबाक अछि,
पैघ ओझा-गुनी लग नै
जरूरी जयबाक अछि ।
पीर अथवा फ़क़ीरक लग
सेहो ने जायब जरूरी,
जरूरी बस एक घंटा
स्वयं लग रहबाक अछि !!!!
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हम रिक्शा चलौलहुँ
बाल्यकालक शरारतिक एकटा घटना याद पड़ि गेल अछि, मोन भ' रहल अछि जे अहूँ सबके सुना दी । वर्षाकाल छलैक । सड़कक कातमे खत्ता सबमे पाइन भरल छलैक । गर्मीयों खूब पड़ैत छलैक । हमसब आठवाँ किलासमे कलुआही हाइ इस्कूलमे पड़हैत छलहुँ । मॉर्निंग इस्कूल छलैक । हम आ हमर चारिटा संगी एगारह बजे पूर्वाह्नमे छुट्टी भेलाक बाद पैदल गप्प-सप्प करैत आबि रहल छलहुँ । भलनी मियाँटोल बितलाक बाद बरही टोलसँ पहिले एकटा पुलिया छलैक । पुलिया लग एकटा रिक्शा ठाढ़ छलैक । रिक्शा चालक कतहु विश्राम क' रहल छल ।
हम पाँचो संगी आँखिएसँ किछु बात कएलहुँ आ रिक्शा पर बैसि गेलहुँ, हम चालकक स्थानपर बैसलहुँ । कनेक ढलान छलैक, पैडिल मारैत देरी रिक्शा दौड़ि पड़लैक । अरे, ई की! रिक्शा पूर्ण वेगसँ दौड़िक' बगलके खत्तामे छलाँग मारलक । पाँचो संगी थालमे धड़ामसँ कुदलहुँ, सँजोग कहियौ जे ककरो खरोचो नहि लागल, मात्र थाल-कादो सौँसे देहमे भरि गेल ।
सब गोटे भल्ली पोखरिमे आबि देह-हाथ नीकसँ धोक' स्नान कएलहुँ, भिजले वस्त्र पहिरि गाम अयलहुँ ।
पाँचो संगी सप्पत खेलहुँ जे ई बात गुप्ते राखब, ककरो पता नहि चलबाक चाही ।
एखन तक ई बात गुप्ते छल, मुदा आइ हम अपन प्रतिज्ञा भंग क' लेलहुँ, अहाँसबके सब बात बता देलहुँ ।
रिक्शाचालकक की प्रतिक्रिया भेल हेतैक से बात अपने लोकनि पर छोड़ैत छी !!!??
धोखेबाज
मनुखताके बिसरि, धोखा
जगतके क्यो द' सकै अछि ।
मुदा अतिशय नीच रहितो
स्वयंके नै ठकि सकै अछि ।।
दुष्ट धोखेबाज बदतर
हिंस्र पशुओसँ रहै अछि ।
हिंस्रसँ क्षति देह, धोखेबाज
क्षति मोनो करै अछि ।।
एते मिनती ईशसँ जे,
जदपि कतबो दैन्य आबय ।
भले प्राणोपर हो खतरा,
मोनमे धोखा ने आबय ।।
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नीकके नीके भेटय
भेटय तिनका फलो तेहने
जनिक कृत जेहने रहय ।
नीकके नीके भेटय,
अधलाह खधियामे खसय ।।
शुक्रिया तिनकर जे गढ़लनि
पुष्प-काँटे अहँक जिनगी ।
नीक वा अधलाह खट-मिठ,
सुदृढ़ कएलनि अहँक जिनगी ।।
रहय मम आचार उत्तम
सात्विके सुविचार हो ।
भरल हो उत्साह चितमे
लेश नै कुविचार हो ।
सतत अपने त्रूटि देखी,
मधुरवाणी सतत भाखी ।
आनके नै दोख देखी,
आस ककरो सँ ने राखी ।।
पाकिटमार
पाकिटमार
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बात ताहिकालक थिक जखन बी.आइ. टी. सिन्दरीमे पड़हैत छलहुँ('74-'78 बैच) । गाम(करमौली, मधुबनी)सँ सिन्दरी जायब-आयब बहुत दुरूह छल, एखनुक शारीरिक स्थितिमे तै समयक कष्ट सोचिएक' देह सिहरि उठैछ ।
गामसँ पैदल/रिक्शासँ कलुआही, फेर बससँ दड़िभंगा, ओत'सँ ट्रेनसँ समस्तीपुर, समस्तीपुरमे बहुत प्रतीक्षा कएलाक बाद नॉर्थबिहार/मिथिलाएक्सप्रेससँ आसनसोल, ओत'सँ कोनो दोसर ट्रेनसँ धनबाद, तकरबाद मटाडोर/ट्रेकरसँ सिन्दरी ।
यात्रा कतेक दुरूह छल से अही बातसँ बुझा जायत जे कतेको बेर नॉर्थबिहार/मिथिला एक्सप्रेसमे रातिभरि औंघाइत ठाढ़े यात्रा कर' पड़ल छल । गाम-देहातक गरीब घरक छात्र दड़िभंगासँ आगाँ कहियो एसगर गेलो नै छलहुँ; रिजर्वेशन की/केना होइत छैक से बुझलो नै छल ।
दड़िभंगासँ समस्तीपुर पसिंजर ट्रेनसँ जाइत छलहुँ, समस्तीपुरमे नार्थबिहार/मिथिला पकड़ैत छलहुँ । दरिभंगा-समस्तीपुर पसिंजरमे सेहो बड्ड भीड़ रहैत छलैक, चड़हैत-उतरैत कालमे पसेना छूटि जाइत छल ।
समस्तीपुरमे पसिंजरसँ उतरैतकाल रगड़ा-रगड़ीमे एकटा पाकिटमार जेबीसँ रुपैया निकालि लेलक । यद्यपि रुपैया मात्र एके-डेढ़सौ छल मुदा छात्रजीवनक एक-एक पाइ बहुमूल्य होइछ, ताहूमे अभावग्रस्त गरीब किसानक पुत्रक तँ कहले की जाय!
पाकिटमार जहाँ रुपैया निकाललक कि हम ओकर गट्टा कसिक' पकड़लहुँ । पाकिटमार दुब्बर-पातर छल ।
भागक लेल कतबो छटपटायल मुदा गट्टा नै छोड़ा पौलक । हम ओकरा पकड़ने-पकड़ने जी.आर.पी. सिपाहीलग गेलहुँ । सिपाही ओकरा लॉकअपमे बन्द क' देलकैक आ हमरा बगलेमे राखल एकटा बेंचपर बैसा देलक । कहलक जे पाँच मिनटमे कागत ल' क' आबैत छी, एफ.आइ.आर. करबैक । लॉकअप लग बड्ड कम इजोत छलैक । एसगरे बैसल डरो लागय । तिन-चारिटा छौंड़ा(पाकिटमारक संगीए छल हेतैक) अयलैक आ ओकरा पुछलकैक - "की भेलौक भाइ?"
पाकिटमार हमरा दिस देखाक' ओकरा सबके सब बात कहलकैक । ओकर चारू संगी हमरा दिस गुड़ड़लक आ आगाँ बढ़ि गेल । हमर देह सिहड़ि उठल । अंदरसँ पाकिटमार हमरा गाड़ि पड़हैत धमकौलक- "आब' दही हमरा सरदारके, तखन तोहर मजा चखेबौ ।"
अन्हार सुनसान स्थान! एसगरे हम, अन्दरसँ भयभीत भ' गेलहुँ । सिपाही हमरा पाँच मिनट कहिक' गेल से आधा घंटाक बादो कोनो अता-पता नै । हमर अगिला ट्रेनक समय भ' गेल छल, पुल पार क' क' दोसर प्लेटफार्मपर जयबाक छल, पाकिटमार दिस बिना तकनहिं इएहले-उएहले पड़ेलहुँ ।
"जान बचय तँ लाखो पाय"! पुल पार क' क' दोसर प्लेटफार्म पर आबि गेलहुँ । नार्थबिहार आबि चुकल छल, दौड़िए क' चढ़ि गेलहुँ आ एकटा कोनमे भगवानके स्मरण करैत दुबकि क' बैसि गेलहुँ । जानमे जान आयल!
ओकर बादसँ जहिया कहियो समस्तीपुर टीशनपर उतरैत छलहुँ, चकुआइते रहैत छलहुँ जे कहीं ओइ पाकिटमारक ने दर्शन भ' जाय!!!
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