संत :-
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सुभोजन तिनका कराबी,
अहाँके जल जे पिऔलनि ।
दण्डवत तिनका करू जे
अहाँ लग सिर के नमौलनि ।।
एक पैसा जे कियो, खर्चा-
केलनि कहियो अहँक लेल ।
मोह नै पैसाक राखी,
सहस्रों खर्ची तिनक लेल ।।
जे करथि उपकार, तिनका
सौ गुना क' क' सधाबी ।
अहाँके जे करथि रक्षा,
प्राण तिनका लए गमाबी ।।
ई त' भेल व्यवहार जगतक,
संत छथि अपवाद एकरो ।
जे करय अपकार हुनकर,
ओ करथि उपकार तकरो ।।
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