Saturday, September 3, 2016

बस-पड़ाव


बात किछु दिन पूर्व के थिक,
मित्र हम्मर छला आयल ।
विदा होइ छथि गाम, घटना-
हुनक संग भेल, याद आयल ।।
रात्रि के नौ बजे, पटना-
बस-पड़ावक लेल गेलथि ।
लौटिक' दस बजे पुनि मम-
गेह के घंटी बजेलथि ।।
लौटिक' क्यै आबि गेला
भेल चिंता बात की छै ।
ब'स छुटलनि वा कि कोनो-
मामला किछु आन भेल छै ।।
पुछलियनि-' की भेल?' उत्तर-
सूनि क' मोन खिन्न भए गेल ।
हाल 'पटना बस पड़ावक' आ-
'प्रशासनक', याद पड़ि गेल ।।
-" गेलहुँ हम स्टैंड जखने
दौड़ि एकटा लोक आयल,
पकड़ि हम्मर बैग घिचिक'
अपन बस के ल'ग लायल ।।
ब'स झड़खण्डी छलै ओ-
झिकातीरी करय लागल ।
पाछु मे लखि नीक बस एक-
ओकर हम नहि बात मानल ।।
देलक धक्का जोड़ स' आ
भूमि पर ओ खसा देलक ।
गारि पढ़लक खूब, पर-
मम बैग के नहि छीनि पेलक ।।
मोन अतिशय खिन्न भए गेल
क्रोध के हम पीबि गेलहुँ ।
दौड़ि एलहुँ सड़क पर,
फ़ुटपाथ पर जा बैसि गेलहुँ ।।
ए'कटा गतिशील चेकिंग-
भान के आबैत लखलहुँ ।
हाथ द' क' रोकि, घटना-
घटल, आद्योपांत कहलहुँ ।।
संग हमरा लेलक ओ सब
पड़ावक अंदर ल' जाइ अछि ।
पुलिस के देखिते देरी ओ-
लहंगड़ा झट स' पड़ाइ अछि ।।
चिन्हा देलियै लहंगड़ा के,
दौड़िक' ओकरा पकड़लक ।
लात-जुत्ता देलक, भू पर-
पटकि क' अतिशय रगड़लक ।।
ओकर मालिक आबि, हमरा-
स' बहुत माफी मंगै अछि-
'अहूँ खुब जुतिआउ एकरा
क'ल जोड़ि हमरा कहै अछि' ।।
बढ़ि चलल गतिशील चेकिंग,
संग हमरा लय लेलक ओ ।
'आइ रोकू अपन यतरा',
चौक पर बैसा देलक ओ ।।
दोसर टेम्पू के पकड़ि क'
लौटिक' हम आबि गेलहुँ ।
काल्हि पुनि ट्रेने स' जायब,
बस ने पकड़ब, कान धेलहुँ ।।"
सुनि हुनक खिस्सा, बिहारक-
हाल पर दुख भ' रहल अछि ।
ईश रक्षा करथु राज्यक,
गर्त मे ई जा रहल अछि ।।
करै छी अनुरोध सबस',
बस चढ़क बेर ख्याल राखब ।
लुहेड़ा, लुच्चा आ बहसी स'-
ने उलझी, ध्यान राखब ।।

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