Tuesday, September 27, 2016

ठठपाल



नाम निज ‘ठठपाल’ ‘ठट्ठू’, सुनै अछि सबहक मुहें ओ,
क्रोध अतिशय होइत छै, के नाम रखलक एहन हम्मर I
आइ जग मे घूमिक’, सबस’ जे बढियाँ नाम हे’तै,
सैह अपना लेल चुनबै, नाम हे’तै वैह हम्मर II

बढ़ल आगू त’ देखै अछि- घास एक सुन्नरि कटै छै I
ल’ग जाक’ पुछलकै त’, नाम लछमिनियाँ कहै छै II
मूँह ताकै- ‘ नाम लछमी, मुदा घसछिलनी करै छै !’,
कहै छै- ‘ जे रहै लीखल, नाम मे किछु ने रहै छै’ II

बढल आगाँ त’ देखल जे, युवक हरबाही करै छै I
पुछै छै- ‘की नाम?’ त’, ‘धनपाल’-हम, उत्तर भेटै छै II
मूँह ताकै ओकर- ‘ छै धनपाल, हरबाही करै छै ?’
कहै छै- ‘ जे रहै लीखल, नाम मे किछु ने रहै छै’ II

बढ़ल थोड़बे दूर त’, अर्थी-चढ़ल मुर्दा भेटै छै I
-‘नाम हिनकर की छलनि?’ -‘अमर’, चट उत्तर भेटै छै II
मूँह ताकय, पुछै सबस’- ‘अमर की से’हो मरै छै?’
भेटल उत्तर- ‘सब मरै छै, नाम मे किछु ने रहै छै’ II

चित्त थिर कय सोचै छै, आ बा’ट ओ घ’रक धरै छै-
-‘कर्म लीखल होइछ निश्चय, नाम मे किछु ने रहै छै’ II
-‘घास लछमिनियाँ कटै अछि, ह’र मे धनपाल अछि I
चढ़ल अर्थी अमर देखल, नाम निक ठठपाल अछि' II

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