Saturday, September 3, 2016

चोर


कृष्णपुर मे फ्लैट दस-
तल्लाक सुन्दर अछि बनल I
मित्र हम्मर छथि ततय-
सपरिवारें रहि रहल II
एक बेर बेटीके ब्याहक-
लेल ओ निज गाम गेलथि I
ठीक स’ सब घ’र, खिड़की-
आर फाटक के लगेलथि II
ब्याह के बीचे मे ऑफिस-
काज स’ पटना अबै छथि I
ख़तम भेलनि काज ऑफिस-
के, त’ डेरा पर चलै छथि II
द’स तल्ला फ्लैट मे ओ-
सबस’ ऊपर मे रहै छथि I
बालकोनी स’ शहर के-
दर्शनक आनंद लै छथि II
जाइत देरी ओ देखल जे-
गेट पर एक ट्रक लदल अछि I
घरेलू सामान सब, नीचा-
स’ ऊपर तक भरल अछि II
हिनक सोझँहि फुजल ट्रक,
पर ई ने किछुओ बूझि सकला I
चिन्हरगर क्यो ने छलनि-
तयँ बात किछु नै पूछि सकला II
गेला ऊपर त’ देखल जे-
गे’ट हिनकर रहय फूजल I
गेला अन्दर त’ देखै छथि-
घ’र खाली, किछु ने सूझल II
खटखटेला सामने त’-
क्यो ने किछु उत्तर द’ सकलनि I
पड़ोसी स’ प्रेम नहिं-
रखवाक फल झट बूझि पड़लनि II
पड़ोसिया स’ रहू मिलिक’-
जत’ जे क्यो रहि रहल छी I
बे’र पड़ला पर सहायक-
वैह छथि, हम कहि रहल छी II

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