भेटय तिनका फलो तेहने
जनिक कृत जेहने रहय ।
नीकके नीके भेटय,
अधलाह खधियामे खसय ।।
शुक्रिया तिनकर जे गढ़लनि
पुष्प-काँटे अहँक जिनगी ।
नीक वा अधलाह खट-मिठ,
सुदृढ़ कएलनि अहँक जिनगी ।।
रहय मम आचार उत्तम
सात्विके सुविचार हो ।
भरल हो उत्साह चितमे
लेश नै कुविचार हो ।।
सतत अपने त्रूटि देखी,
मधुरवाणी सतत भाखी ।
आनके नै दोख देखी,
आस ककरोसँ ने राखी ।।
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