Friday, January 10, 2025

आस ककरोसँ ने राखी ।

भेटय तिनका फलो तेहने जनिक कृत जेहने रहय । नीकके नीके भेटय, अधलाह खधियामे खसय ।। शुक्रिया तिनकर जे गढ़लनि पुष्प-काँटे अहँक जिनगी । नीक वा अधलाह खट-मिठ, सुदृढ़ कएलनि अहँक जिनगी ।। रहय मम आचार उत्तम सात्विके सुविचार हो । भरल हो उत्साह चितमे लेश नै कुविचार हो ।। सतत अपने त्रूटि देखी, मधुरवाणी सतत भाखी । आनके नै दोख देखी, आस ककरोसँ ने राखी ।। *********************

No comments:

Post a Comment