Kamalji
Saturday, January 4, 2025
पेट मनुक्खक भरय ने कहियो ।
लख चौरासी जीव जगतमे,
मानव टा धन अरजय सगरो ।
सब क्यो जीवय खूब ठाठसँ,
पेट मनुक्खक भरय ने कहियो ।।
आन जीव संचत ने कहियो,
जतबे खगता ततबे आनत ।
मुदा मनुक्खक हाल ने पूछू,
जिनगी भरि संचयमे लागत ।।
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