Wednesday, January 17, 2024

निन्दक नियरे राखिए

दाग चेहरा पर देखाबय जखन दर्पण
लगा साबुन क्रीम चेहरा के मलै छी ।
दाग चेहरा स' हटायब लक्ष्य होमय
दोख दर्पण के मुदा कहियो ने दै छी ।।

जँ कियो इंगित करै छथि त्रूटि दिस तँ
होइ हुनक कृतज्ञ निज त्रुटिए भगाबी ।
क्रोध हुनका पर करब नै उचित होयत
करी स्वागत हुनक, मैत्री के बढ़ाबी ।।

बनाक' बढियाँ हुनक आँगन कुटी,
घोर निंदक लोक के नजदीक राखी ।
करथि निर्मल चित्त साबुन पानि बिन,
प्यार करियनु किमपि नै अपशब्द भाखी ।।

आन क्यो नै बुझि पड़त ऐ जगत भरिमे,
जँ अहाँ बुझबैक सबके सदृश अपनहि ।
माथपर रखने रहत सबलोक सदिखन,
बूझि जेतै ओ अहँक हृदयक भाव जखनहि ।।

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