आब ककरो भेट करबाक
कोनो जरूरति नहि,
दूरे सँ बन्धु-बाँधबक
सब हालचाल लैत रहू ।
जिनगी बचाबक अछि
ऐ दुष्ट सँ महायुद्धमे,
गेहक सुदृढ़ किलामे रहि
कोरोना दैत्य सँ बचैत रहू ।।
जे सब काल्हि तक हरदम
पार्टीमे जुटैत छल,
आइ हमरा बेमार देखि
दूरे-दूर भागि रहल ।
बूझि पड़ैछ अपनो लोक
दुश्मन बनि गेल अछि,
अन्तिमो समयमे हमरा सँ सब
कन्नी अछि काटि रहल ।।
एतबो निसोख नै भ' जाउ
हे हमर मित्रगण!
अपने सुरक्षित रहि
हित-अपेक्षितोक ध्यान रहय ।
प्रलयकाल निश्चय
बीति जेबे करतैक एकदिन,
जँ बाँचि गेलहुँ तँ जाहिसँ
आँखि ने चोराब' पड़य ।।
एक्केटा संदेश अछि
दूरी के खियाल हो,
मास्क के हरदम
लगाक' राखू सब ।
काढ़ा,भाफ,गाडगिल
बचायत सबहक जान,
वैक्सीने पर पूर्ण आश
लगाक' राखू सब ।।
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