Tuesday, May 25, 2021

माया

 रैन-दिवस हम माया सेबल,

तात्विक ज्ञान कोना भ' पायत!

उरगक भ्रम रज्जूमे होमय,

ज्ञान-ज्योति सँ दूर पड़ायत ।।


छाउर सत्य के झाँपि लेने अछि,

अथक प्रयासें सँ हटि पायत ।

जे भटकय अज्ञान-तिमिरमे

गुरु-ज्ञानक-द्युति सँ लखि पायत ।।


स्वाद अपूर्व होइछ मायाकेर,

मोहपाशमे कसिक' फाँसय ।

धन्य-धन्य सद्गुरु केर किरपा,

भेड़ा बनबा सँ क्यो बाँचय ।।


क्षणभंगुर मायाक फेरमे,

जइड़ एक-दोसर के काटथि ।

बिसरि जीव अपना स्वरूप के,

कुड़हड़ि सँ अपनहि पद छाँटथि ।।


व्यर्थ अरारि करै छथि सब क्यो,

होमय आन कियो नहि जैठाँ ।

एक्के तत्त्व बसय सबहक उर,

बुधुए लोक लड़इ अछि तैठाँ ।।

†********†******†*********†

No comments:

Post a Comment