Kamalji
Saturday, January 4, 2025
जिनगी!!!😢😊👍👌
अल्प अवधिक लेल भेटल अछि सभक ई जिन्दगी,
हँसि-खेलाक' प्रेमसँ क्यैने बिताबी जिन्दगी ।
मूर्ख तकरासँ ने क्यो जे कलह-व्यसनेमे रमल,
बुझि सकल उद्देश्य नहि भेटल किअए ई जिंदगी ।।
खने हँसबय खने कनबय गजब अछि ई जिंदगी,
नीक-अधलाहक कराबय ज्ञान सबटा जिन्दगी ।
गिला-शिकबा कथीलेल सबमे तँ ईशे रमि रहल,
हँसि-खेला मिलिक' गला क्यैने बिताबी जिन्दगी ।।
कियो बूझय लघुतमे, ककरो लगय ई दीर्घतम,
रुग्न आ दुखियाक लेल कटने कटय ने जिन्दगी ।
मुदित सुखिया निरुज आध्यात्मिक जनिक अछि जिन्दगी,
शताधिक भेनहुँ लगै अछि लघुतरे ई जिंदगी ।।
यैह थिक दायित्व सबहक खुशीटा क्षण याद राखथि,
मुदा अत्यल्पे रखै छथि याद नित ऐ बात के ।
देखयमे आबैछ दुक्खेकेर चिन्तन करथि बेसी ।
खुशीमे बीतल अवधि, नहि स्मरथि भरि जिंदगी ।।
करी मानवताक सेवा जगतके सुन्दर बनाबी,
जीव-जंतुक संग गिरि वन सरित सर सँ प्रेम राखी ।।
नशासेवन दुर्व्यसन तजि आत्मचिंतन करब जँ सब,
तखन नित आनन्द बरसत सफल होयत जिन्दगी!!!!
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ईशसँ अछि प्रार्थना ।
ईशसँ अछि प्रार्थना
एतबा कृपा सदिखन करब ।
रहय ने दुखिया कियो आ
दुख सभक सदिखन हरब ।।
कष्ट किनको कनिकबो
नै होन्हि हमरा कारने ।
भले हमरा देथु कतबो
कष्ट ओ बिनु कारने ।।
एहन दिन हमरा दिय'
सभदिन करी उपकार अनकर ।
भले क्यो ऐ लोकके
सदिखन करथु अपकार हम्मर ।।
सफल मम जीवन जखन सब
सुखी हमरा कारने ।
सभक मुख मुस्कान आयत
जखन हमरा कारने ।।
कष्ट
कष्टमे शिक्षा बहुत सिखबामे आबय,
कष्टमे रहनहि कियो चिन्हबामे आबय ।
कष्ट दुनियाँसँ लड़क हूनर सिखाबय,
भक्ति बढ़बय ईश सदिखन याद आबय ।।
छहरियालप्पा बनै अछि खुशीमे सब,
सीख सबटा बिसरि जाइ अछि खुशीमे सब ।
खुशीमे तँ मोन उरसँ दूर भागय,
ईशके बिसरैछ साफे खुशीमे सब ।।
आब बाजू कथी चाही, हे सुधीजन!
साधुगण चाहैछ दुःखक संग सदिखन ।
पुछै छथि दीदीसँ हरि "माँगू कथू",
-"दुख दिय', जपिते रही हरि नाम सदिखन " ।।
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पेट मनुक्खक भरय ने कहियो ।
लख चौरासी जीव जगतमे,
मानव टा धन अरजय सगरो ।
सब क्यो जीवय खूब ठाठसँ,
पेट मनुक्खक भरय ने कहियो ।।
आन जीव संचत ने कहियो,
जतबे खगता ततबे आनत ।
मुदा मनुक्खक हाल ने पूछू,
जिनगी भरि संचयमे लागत ।।
Sunday, December 29, 2024
जे किछु अपना नीक लगै अछि ।
"जे किछु अपना नीक लगै अछि,
अनकोलेल परोसू ।
जे नै नीक लगै अछि अपना
अनका परसब रोकू ।।
आमक तरुसँ झरकबाहि,
जे गाछ बबूरक रोपता ।
जिनगीभरि काँटे बिच रहता
आमकलेल तरसता!!!"
Thursday, December 19, 2024
जे क्यो आदर देथि अहाँके ।
जे क्यो आदर देथि अहाँके
अहूँ तनिक सनमान करू ।
क्षणिक स्वार्थपूर्तिक लेल कहियो,
जुनि हुनकर अपमान करू ।।
खरचू एक हजार तनिक लेल,
ख़र्चल जे एक पाइ अहाँलेल ।
सेवा जे क्यो कएल कनेकबो,
जानक मोह ने हो तिनकालेल ।।
यद्यपि निर्धन, अबल, निरक्षर,
स्नेहक वर्षण कएल अहाँपर ।
मूल्य अहाँकेर बुझलनि जे क्यो,
तिनका हित सर्वस्व निछावर ।।
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जे किछु अपना नीक लगै अछि ।
"जे किछु अपना नीक लगै अछि,
अनको से सब परसू ।
जे नै नीक लगै अछि अपना,
अनका जुनि से परसू ।।
आमक तरुसँ झरकबाहि,
जे गाछ बबूर लगयता,
जिनगीभरि काँटे बिच रहता,
आमकलेल तरसता!!!"
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