ताकै छी मस्जिद गुरुद्वारा
मंदिर चर्चो आ जगभरिमे ।
अनगिन जीवक दिस ध्यान दियौ,
भ' जायत दर्शन क्षणभरिमे ।।
घिरनासँ घिरने भेटै छै,
सेवासँ मेवा प्राप्त करब ।
जँ दया प्रेम बिलहब सगरो,
सबहक हिरदयमे बास करब ।।
सेवो नै पूजा हो सबहक,
शिवरूप बूझि सबके अइठाँ ।
एक्के ईश्वर सबहक उरमे,
तँ आन कियो नै अछि अइठाँ ।।
जँ पूजो नै क' सकय कियो,
चुपचाप स्वयंमे पैस जाउ ।
चितके थिर क' इंद्रिय समेटि,
भए मौन हृदयमे बैस जाउ ।।
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