Monday, November 18, 2019

मल्हू




आइर-धूर पर बाधे-बोने
सगरो ओ छिछिआय रहल I
धीया-पूता बाट-बटोही
सब-क्यो छै ढेपियाय रहल II

मैल-कुचैल झुलंग गंजी पर
कुरता सौंसे छै फाटल I
धोती द’ढ़ कतहु नै लागय,
सौंसे छै चेफड़ी लागल II

चिड़इ-चुनमुनिक खोंता सनके
केस ओकर छै लागि रहल I
कारी कम्मल चेथड़ी-चेथड़ी,
कुकुरक ड’रे भागि रहल II

‘मल्हू’ नाम एकर क्यो कहलक,
बूझि पड़य साफे पागल I
लोक कहय ई सिद्ध, कतेको-
एकरा सेवा मे लागल II

क्यो कहलक बहुतो संतति-सुख,
एकरा आशीषें पौलक I
न’बे कुर्ता-धोती-तौनी-
डोपटा एकरा पहिरौलक I

चीर-चारिक’ सबटा कपड़ा,
ईंटा-पाथर फोड़ि रहल I
फे’रो औघर रूप बनाक’
सौंसे अछि ई दौड़ि रहल II
******19.11.19******


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