Monday, July 9, 2012

भोलेनाथ

आइ साउन'क पहिल सोमवारी अछि . भोलेनाथ'क प्रिय दिन. औढरदानी, बौराहा के साउन मास पसंद हेवाक कारण मुशलाधार वर्षा कहि सकैत छी. संसार'क विष (दुख-दर्द,ताप  ) पान क' जगत के शीतलता प्रदाता'क माथ मे गर्मी भरि जयवाक कल्पना; तापक शमन हेतु जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक वा कोनो अन्य पदार्थ जे बाबा के शीतलता प्रदान करनि तकर अर्पन, भक्त सभक अभीष्ट. विल्वपत्र, पञ्चगव्य, शुद्ध शाकाहार'क अर्पन, गङ्गाजल स' अभिषेक शीतलतेक  द्योतक. सोम (चन्द्रमा) के शीश पर धारन, माथ पर गंगा, हिमालय-वाश इत्यादि शीत दिश इङ्गित करैछ. ताही  कारणे सोम दिन  बौराहा क पूजा'क प्रशस्ति.
                                भोला माने बुरबक, दुनियाक छल -प्रपञ्च स' दूर. संपूर्ण ज्ञान'क स्रोत के सान्सारिकता की प्रभावित क' सकत? माया जनिक दासी, कामदेव जिनका प्रभावित नहि क' सकल वल्कि स्वयम् भस्म भ' गेल; तिनका घोर सान्सारिक लोकसब बुरबके बुझतनि ने. अइ स' बुरबक के हैत जे अमृत छोरि विष के अपनाओत. नीक-निकुत छोडि, आक-धथुर, भाङ्ग बउरहवे खा सकैत अछि. सत्-असत् सबहक देव, देवता-दानव दुहूक पूज्य, राम-रावण दुहुक आराध्य बम्भोळा छोडि के भ' सकैत अछि?                    
    

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