बरियाती
काल्हि बरियाती गेलहुँ। श्रीमती जीक नैहर पक्षक रहवाक कारणे हुनक जिद्दक आगू झुक' पड़ल। एक सै स' बेसी संख्या मे लोक। के कत' बैसल तकर कोनो ठेकान नहि। कुर्सी लेल छीना झपटी। किछु लोक बैसला, किछु ठाढे, किछु टहलैत राति बितेलाह। के बरियाती आ के सरियाती किछुओ चीन्ह' मे नहि आयल। शुद्ध शाकाहारी व्यवस्था ; लहसुन-प्याज रहित। सबस' पहिले भुक्खड़ सरियाती भोजन पर टुटल, तकर बाद बरियाती सब सेहो धक्का-मुक्की करैत भोजनक टेबुल धरि पहुँचला। किछु खेलाह, किछु भुखले रहला। किछु मूड बनाब' मे लागल छलाह, देरी स' पहुँचला। अरे ई की ! भोजनक की कहू, पीबाक लेल जलो नदारद। हमर युवा पुत्र सेहो संग मे छलाह। भीड़ छटक प्रतीक्षा करैत रहलाह। जलो नसीब नहि भेलन्हि। डेरा पर आबि खिचडि -चोखा जल्दी स' बनबा क' भूख मेटेलाह। राति भरि जगलाक कारण तवियत सेहो खराब भ' गेल। फेर बरियाती जयबाक नामे कान पकडलहुँ।
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