Friday, October 1, 2010

महात्मा गाँधी.

आज राष्ट्रपिता महात्मागांधी का जन्मदिन है. उनके समान कर्मयोगी का अवतरण कभी-कभी होता है. एक लंगोटीधारी ने दुनिया के सबसे ताकतवर साम्राज्य को सत्य-अहिंसा के अस्त्र से पस्त कर दिया। ' अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य असंग्रहः, शरीरश्रम अश्वाद सर्वत्र भयवर्जनह, सर्वधर्मीसमानंत्व स्वदेशी अस्पर्शभावना' यही उनका मूलमंत्र था। अहिंसा- मनसा, वाचा, कर्मणा किसी की बुराई नहीं करना। अहिंसा का itanaa सम्मान करते थे कि विरोधियों का भी अहित नहीं चाहते थे.४ फरबरी, १९२२ को चौरी चौरा में शराव दूकान के विरोध में करीव २००० प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोली चलाई। तीन मरे और अनेक घायल हो गए। यह देखकर भीड़ हिंसक हो उठी और लोगो ने चारो तरफ से पुलिस पर हमला कर दिया। हजारो प्रद्रशंकारियो को देखकर पुलिस घवड़ा गयी और पीछे मुरकर थाने में लौट गयी। भीड़ ने अपने मृत दोस्तों का बदला लेने के इरादे से चारो तरफ से थाने में आग लगा दी। दारोगा सहित बाईस पुलिसकर्मी ज़िंदा जला दिए गए। उन दिनों asahyog aandolan chal rahaa था। विदेशी वस्त्र, शिक्षा, नौकरी, पद एवं सम्मान का सर्वत्र बहिस्कार किया जा रहा था. aandolan shirsha par tha. chauri chaura ki ghatnaa ke बाद गांधीजी ने देखा कि यह हिंसा की or jaa rahaa hai aur sabhi kiya karaya par paani fir जायेगा। उन्होंने अवज्ञा आन्दोलन को तुरत समाप्त करने का आह्वान किया। १० मार्च १९२२ को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें ६ साल कि सजा सुनाई गयी। गांधीजी सत्य को भगवान मानते थे। चोरी नहीं करना, ब्रह्मचर्य व्रत (ब्रह्म में विचरण) धारण करना, संग्रह नहीं करना, शारीरिक श्रम, स्वाद नहीं देखना, कही भी भय नहीं करना, सब धर्मो की समानता, स्वदेशी भाव और अस्पृश्यता का त्याग। उनके इस मूल मंत्र को अगर हम सदा स्मरण रखे तो कल्याण ही कल्याण है।

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