
Monday, April 14, 2025
दादाजी के संस्मरण(l) :-
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साल 1917मे अमेरिका यात्रा मे भेल एकटा अपन अनुभव अहाँ सबहक संग शेयर कर' चाहै छी ।
हमसब ह्यूस्टन शहर में एकटा होटल मे अँटकल छलहुँ । भोरखन मॉर्निंग वाक मे एकटा बगले के सड़क पर टहलि रहल छलहुँ । हमरा मोबाइल मे टावर नै छलैक । तैयो घंटी बाज' लागल ।
हम कॉल रिसीव केलहुँ-" हेलो ! "
दोसर दिस स' जवाब आयल-" ह्यूस्टन पुलिस स्पीकिंग । "
हम डेराक' फोन के स्विच ऑफ केलहुँ आ जल्दी-जल्दी होटल एलहुँ । अपना बालक के सब बात कहलियन्हि ।
ओ चेक क' क' कहै छथि- "पापाजी, अहीं स' इमरजेंसी कॉल भेल छल । "
--" हमरा मोबाइल मे टावर नै छैक तखन कोना कॉल भेलैक । "
--" ऑफ लाइन मे सेहो इमरजेंसी कॉल होइ छै । "
मोबाइल सब मे ' इमरजेंसी कॉल ओनली ' लीखल देखै छलिऐ, मुदा ई नै बूझल छल जे ई पुलिस के लागै छै ।
हम सोचै छलहुँ जे आफति-बिपति मे ऑफ़लाइन मे अपन लोक के कॉल करक लेल ई संदेश थिक ।
हमर बालक तुरत पुलिस के कॉल कएलखिन्ह आ सब बात साफ़-साफ़ कहि देलखिन्ह । पुलिस हुनकर पता आ हालचाल पुछलक । जखन आस्वस्त भ' गेल जे कोनो मर्जेंसी नै छन्हि तखन रखलक ।
बाद के दिन मे जखन नीक लोकक लेल अमेरिकी पुलिसक हेल्पिंग ऐटीच्यूड देखलौं त'
भय समाप्त भ' गेल ।
कोनो तरहक दिक्कति मे घर मे मर्जेंसी बट्टम दबेबै कि सेकण्ड मे पुलिस के कॉल आयत आ जै तरहक मदति चाही से पाँच मिनट के भीतर पुलिस करत । कोनो बेमार व्यक्ति लेल डाक्टर आ एम्बुलेंस लेनहिएँ आयत, आगिक केस मे अग्निशामक गाड़ी लइए क' आयत । चोर-डकैत के लेल त' कोनो बाते नै, ओकरा सबके त' ओ काजे थिक ।
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