शांत राखल करू चित,
निर्णय ने धड़फड़ मे करू ।
जोड़ सँ चिचियाउ नहिं,
किछुओ ने हड़बड़ मे करू ।।
किछुओ ने हड़बड़ मे करू,
हल्ला सतत काजे बिगाड़त ।
धरू चुप्पी काज सम्हरत,
स्वास्थ्य के से'हो सुधारत ।।
दुख अहींके पड़त भोग',
चित्त जँ नै शांत राखल ।
सुख सेहो भेटत अहीं के,
चित्त के जँ शांत राखल ।।
***********************
No comments:
Post a Comment