Thursday, April 24, 2014

शिवाराधना

"आत्मा त्वन्  गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः।
संचारःपदयोः प्रदक्षिणविधिः  स्तोत्राणि सर्वा गिरो
 यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलन्  शम्भो तवाराधनं।"
                                         हे शंभु! हमर आत्मा आँहाँ छी, बुद्धि गिरिजा छथि, प्राण अहाँक गण छथि, देह अहाँक मंदिर अछि संपूर्ण विषय भोगक रचना अहाँक पूजा थिक,निद्रा समाधि अछि, हमर चलनाइ-फिरनाइ अहाँक प्रदक्षिणा थिक,आ मुँह स' निकसल प्रत्येक शब्द अहाँक स्तोत्र अछि आ हम जे-जे काज करैत छी सब अपनेक आराधना थिक.   
                                                                            

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