निरुज पल्लव चहु दिशहि, फ़ल-फूल सौसे अछि लदल .
आइर-धूरे पर जनमि शिशु देह कथरी मे लपेटल,बैद-डाक्दर-पवन-छिति-रवि-गगन-जल मङ्गनी मे भेटल.
दवा-दारू-माटि-रविकर, शीत घामक स्नेह लेपल;
भोजनक की करू बरनन दुग्ध मायक अमिय भेटल .
पुष्ट भेल अछि अङ्ग तन , प्राकृतिक-मायक अन्न खायल, सकत के ओकरा स' वातानुकूलन मे जे पलायल.
एक बच्चा लेल गर्भहि स' चिकित्सक यूथ लागल.
मुदा ने सक्षम, उदर स' साबुते ओकरा निकालल .
अपर बच्चा करय बम-बम नदी-नाला कुदय -फ़ानय , गहन-वन-पर्वत रमय स्वप्नहु ने कहियो डरब जानय .
निपुण दुनिया दारियो मे सुशीलो अछि स्वभावे ओ. दोसर बच्चा डान्स, जूआ, नशा सेबिक' स्वान अछि भेल; बनिक' चेङ्गरा खोजय कोठा लुहेरा-लुच्चा ओ बनि गेल. की ठठत पतियोगिता मे जीवनक झञ्झट सहत की, पडायत जूआ पटकि जखने विषम संकट लखत ओ.
छहरियालप्पा ने फूलय-फ़लय, खखरी पाण्डु रोगी; पितृघाती, भार-भू, मजनू, उचक्का बनत ओ.
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