Sunday, May 2, 2010

नीलू (मेरा ज्येष्ठ पुत्र)


hee man main उसको कह सकता हूँ। थोडा सा जिद्दी स्वभाव है उसका। उसकी जिद्द के आगे किसी की नहीं चलती है। जब वह रूठ जाता है तो काफी मनाने पर ही मानता है। हो भी क्यों नहीं। मेरी शादी के ठीक बारह साल बाद उसका जन्म हुआ था। लोग काफी चिंतित रहने लगे थे कि शायद संतान सुख नहीं लिखा हुआ है। लेकिन काफी कबुला-पाती के बाद नीलू का जन्म सरश्वती पूजा के सुबह में हुआ। उसके जन्म के समय में भी काफी दिक्कतें हुईं। संध्याकाळ से ही उनकी माँ को प्रसव पीड़ा होने लगी। मैं उस समय रांची में पदस्थापित था। मेरा वह नियुक्ति के बाद प्रथम पदस्थापन था। दिसम्बर में मैं वहां योगदान दिया और नीलूजी फरबरी में आये। मायके और ससुराल दोनों जगह ख़ुशी ही ख़ुशी छाई हुई थी। कर्मौली ke kamaljee ke pratham putra का जन्म और वो bhee शादी के बारह वर्ष बाद। मैं नीलूजी के जन्म के समय गांव आया हुआ था। उनकी माँ मायके में थी। मैं कर्मौली में था। रात में khavar अचानक प्रशव पीड़ा प्रारंभ हुई है। बेलाही की चमाइन काफी ट्रेंड थी लेकिन प्रथम संतान में कम्प्लिकेशन होना स्वाभाविक है। रात भर काफी पीड़ा सहने के उपरांत मैं, अमरनाथ, डॉ गोकुल, नीलू माँ की दादी और नानी, नीलू की माँ को लेकर खूब तडके मधुबनी सदर अस्पताल पहुंचे। रास्ते में ही अस्पताल की नर्स देख चुकी थी और तुरत अस्पताल पहुँचने का निर्देश देकर स्वयं भी पीछे-पीछे आयी। आठ बजे के करीब नीलूजी इस धरती पर आये। लगभग आधा घंटा के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। हमलोग साइकिल और रिक्शा से विदा हुए। लगभग एक किलोमीटर चले होंगे की भयंकर आंधी और तूफ़ान प्रारंभ हुआ। रिक्शावाला तेजी से निकला लेकिन हमलोगों को जितवारपुर में रुक जाना पड़ा। अंधी-तूफ़ान लगभग दो घंटे चला और खूब जादा लगने लगा। हमलोग काफी चिंतित हो गए थे लेकिन जब घर पहुंचे तो पता चला की रिक्शावाला ठीक ठीक पहुँच गया था। पहली संत्तान होने के कारन काफी लार प्यार में पला है मेरा बड़ा बेटा। अतः जिद्दी होना स्वाभाविक है। जब आठ माह का था तो अक्टूबर में रांची आ गया। रांची में हरमू कालोनी में हमलोग रहते थे। नीलू बहुत नटखट था। किसी खिलौनेवाले तो किसी खोमचे वाले के साथ निकल जाता था। उसके चलते गेट में टाला लगाकर रखना पड़ता था। कभी कभी गेट में ताला लगा हुआ ही रह जाता था और ग्रिल के बीच के फांक से नीलूजी गायब. .......बाद में.

1 comment:

  1. Papaji - you must complete this blog as soon as possible as we are very eager to read it whole.

    Nilu - the man. This is the perfect sentence for my Nilu bhaiya. We know, the route he choses is never easy and sometimes sounds impossible. He knows how to make it possible and runs always on his own plans - I wish his success more than my own. we all are with you big brother.

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