जे क्यो आदर देथि अहाँके
अहूँ तनिक सनमान करू ।
क्षणिक स्वार्थपूर्तिक लेल कहियो,
जुनि हुनकर अपमान करू ।।
खरचू एक हजार तनिक लेल,
ख़र्चल जे एक पाइ अहाँलेल ।
सेवा जे क्यो कएल कनेकबो,
जानक मोह ने हो तिनकालेल ।।
यद्यपि निर्धन, अबल, निरक्षर,
स्नेहक वर्षण कएल अहाँपर ।
मूल्य अहाँकेर बुझलनि जे क्यो,
तिनका हित सर्वस्व निछावर ।।
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