Thursday, August 23, 2012

पुनर्जन्म

हिन्दू-धर्म मे एकहि संग साकार, निराकार, द्वैत, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत sab bhaavak samaavesh achhi. Yesterday, I happened to go to Kapariya. कपरिया स' हमर वाल्यावस्थाक स्मृति जुरल अछि. वर्ग चारि स' सात धरि कपरिया मिडिल इसकुल मे पढने छी. गाम स' बाधे-बाध चारि वर्ष धरि  तीन किलोमिटर  पैदल चलिक'  क्लास केने छी. सुबोध'क घर गुमनी पोखरि के दक्षिणवरिया भीड पर छलनि; हमर इसकुल पछ्वरिया भीड पर छल. हुनकर बेटा लक्षमन हमर संगी छल. सुबोध बान्स'क पथिया-सूप -चङ्गेरा इत्यादि बनाबैत छलाह. हुनकर कनिया घरे-घर जा क' बान्स'क बनाओल बस्तु बेचैत छली. कोनो-कोनो कुलीनक घर जा क' टीन मे मानव-मल जमा क' दूर फ़ेकि अबैत छली. लक्षमन'क माय बहुत सुन्दरी छली. हुनकर समाज मे एतेक सुन्दरि महिला शायदे भेटैछ. टिफ़िन काल मे हमसब लक्षमन के आन्गन मे बैसि सुबोध आ हुनकर पत्नी स' खूब गप्प करैत छलहु. बान्सक बनल बस्तु के निर्माणक विधि जानि गेल छलहु.                                                                      लक्षु प'ढ' मे बहुत तेज छल. मुदा आर्थिक विपन्नताक कारणे चौथा स'आगा नहि पढि सकल. ओकरा कैक दिन स' क्लास नहि अबैत देखि टिफ़िन मे ओकरा आन्गन गेलहु. ओकर माय सूप बनबैत छली. हम लक्षुक मादे पूछि लेलिऐक. ओ साफ़ शब्द मे बाजलि- 'आब लक्षु नहि पढि सकत.' हम- किऐक? ओ- 'हम सब पूर्व जन्मक पापी छी, ऐ जन्म मे फल भोगि रहल छी.' हमर बालमन किछु नहि बूझि  सकल.                                                                                                                   इसकुल'क छुट्टी भेल. गाम अबैत काल भरि रस्ता यैह सोचैत एलहु जे पुनर्जन्म की थिक. मनुख मरिक' कत' जाइत अछि? फेर जन्म होइत छैक वा जन्म-मृत्यु स' मुक्त भ' जाइत अछि ? के फेर जन्म लैत अछि आ के मुक्त भ' जाइत अछि? पूर्वजन्म'क पाप की होइत छैक? ऐ जन्म मे किऐक क्यो पैघ घर वा निम्न कुल मे जन्म लैत अछि? जन्म लेनहार'क  की दोख? किऐक ने एहन व्यवस्था होइत छैक जे सब बच्चा एके संग रहय, एके संग खै, एके रङ्ग पहिरै-ओढय, एके संग पढय-लिखय आ खेलै? किऐक ने एहन व्यवस्था होअय जाहिस' बापक संपन्नता वा विपन्नता स' बच्चा मुक्त रहय आ सबके एके समान अवसर भेटैक? यैह सोचैत-सोचैत गाम पहुन्चि गेलहु. बेरहटिया खाक' संगी सभक संग खेलाय चलि गेलहु.             

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