Thursday, May 9, 2024

औंठी

बात बहुत पुरान थीक । सिंदरीमे अभियांत्रिकीक द्वितीय बर्खक छात्र छलहुँ । गर्मी छुट्टीमे गाम आयल छलहुँ । श्रद्धेय स्व0 परम भैया सेहो मोतिहारीसँ गाम आयल छलाह । ओ मोतिहारीक हनुमान सुगरमिल परिसर स्थित हनुमान मंदिरक पुजेगरी छलाह । हुनका संगें हुनक एकटा पैघ मारवारी मित्र सहो आयल छलन्हि । नाम तँ याद नहि अछि, किछु काल लेल मानि लीय' "चौखानी" । हमरासँ तीन दिन पहिने परम भैया आ चौखानी आयल छलाह । तीन दिनमे चौखानी खूब लोकप्रिय भ' गेल छल । चौक-चौराहा, कलम गाछी सागरो घुमैत छल । ओकरा संगे हरदम दस-बीस टा लोक रहैत छलैक । चाह-पान, हाहा-हीही खूब होइत छलैक । हम एलहुँ तँ दरबज्जापर ओकरासँ भेट भेल। परिचय भेल आ हल्का-फुल्का बात भेल । हमरासँ भेट होइत देरी पता नै की जादू भेलैक जे ओ आब हमरा बिना कतहु जेबे ने करय । हमरा बुझाइछ जे यद्यपि ओ गामक लोकसबसँ घुलि-मिलि गेल छल तथापि ओकरा असुरक्षा बोध हरदम रहैत छलैक । ओकरा संग हरदम रह'बलामे सदानंद, महारुद्र, पवन, चन्द्रनाथ, नंदू .. आदि अनेक लोक छलथिन्ह । एहन-एहन अवधूत सबहक बीच ओ परदेशी सीधा-सादा चौखानी कृत्रिम प्रसन्नता देखबैत रहैत छल । हमरासँ भेट होइत देरी ओकरा जानमे जान एलैक । ओ एक दिन हमरा संग एकांतमे दोस्तीक बंधन जोड़लक आ एकटा हीरा जड़ित सोनाक औंठी आँगुरमे पहिरा देलक । भ' सकैत अछि ओकरा समाजमे अहिना दोस्ती लगेबाक प्रथा छल हेतैक, हम शुद्ध ग्रामीण मैथिल समाजमे पलल एकटा अकिंचन विप्र ऐ प्रथासँ साफे अनभिज्ञ अकचकायले रहि गेलहुँ । हमरो किछु देबाक चाही ई सोचबो नै केलहुँ । हँ, एकटा बात मोनमे आयल जे संभवतः हेरेबाक वा चोइर हेबाक डरे ओ हमरा लगमे अपन मूल्यवान धरोहर बिसबास क' क' राखि देलक अछि जे जयबाक काल तक सुरक्षित रहैक । आब चौखानीक मुखपर प्राकृतिक खुशी लौटि गेल छलैक । आब ओ निश्चिंत भ' डोकहर, कपलेसर, खजौली, सुक्खी, उचैठ, कलुआही, मधुबनी.. सौंसे घुमैत रहैत छल । ओ खूब नीक हरमुनियाँ बजाबय आ गीतो खूब नीके गबैत छल । आमक गाछीमे ओकर उन्मुक्त हँसी वर्णनातीत रहैत छल । एक मास ओ रहल, कोना ओ एक मास बीति गेल किछु नै बुझायल । ओ जखन बिदा भेल तँ हम धधहरा गाछीमे छलहुँ । हमरा दिमागमे छल जे ओ भोजनोपरांत बिदा होयत, मुदा ओ जलखै क' क' बिदा भ' गेल । पता चलल जे जाइतकाल ओ हमार खोज केने छल । हमर मोन छटपटा उठल । हम बिना जलखै केनहिं कलुआही लेल दौड़ि पड़लहुँ । बाबू मनो केलनि जे कत' ढोंर हाँक' जायब, ओ चलि गेल होयत । मुदा हमरा किछु नै सुनायल । दौड़ते-दौड़ते कलुआही पहुँचलहुँ । संजोग देखू जे बस लेट छलैक । चौखानी बसमे बैसि गेल छल । बस एक मिनटमे खुज'बला छलैक, सीटी द' देने छलैक । हम चौखानी लग जाक' उदास मोने ओकरासँ हाथ मिलेलहुँ आ आँगुरसँ औंठी निकालि ओकरा द' देलिऐक । ओ खुश भ'क' ल' लेलक आ हम तेजीसँ उतरि गेलहुँ । भगवान हमर इज्जति बचौलन्हि । पता नहि ओ हमरोलेल की की सोचैत छल होयत! गामपर आबि निसाँस छोडलहुँ । बाबू पुछलाह- "भेटल की नहि"? कहलियन्हि-"हँ, भेटि गेल" । मुदा,हुनका कहाँ बूझल छलन्हि जे हमरा माथक बड़का बोझ उतरि गेल छल!! ओ घटना एखनो ओहिना याद अछि ।