बतहूक उमेर तीस भ’
गेल छलन्हि मुदा तखनो तक कुमारे छलाह I कोनो पैघ ऐब नै कहक चाही, कने सुधंग आ कने
तोतराह! ओना तँ कन्याक अभावक कारणें बहुतो नीको बर सब कुमारे छथि, ऐब बलाके के
पुछै अछि! शुरू मे अठबारे आ बाद मे नित्यप्रति डोकहर गौरीशंकरके जल चढ़ौलन्हि I
बाबा कृपा केलखिन्ह आ एकटा घटक पहुँचलाह I बतहूक पिताजी धरफरायले छलथिन्ह, तुरत
ठीक भ’ गेलन्हि I कन्या आँखि मुनल मे बड्ड सुन्नरि, आँखि खोलने एक आँखि सँ कनाहि !
मुदा एहन बर लेल ऐ सँ बेसी सुन्नरि तकला सँ जिनगी भरि कुमारे रह’ पड़ितनि I
दान-दहेज़ मे बेसी नै, बरक बाप द्वारा कन्या बापके मात्र एगारह सै टाका देब’ पड़लनि
I
शुभ-शुभक’ बियाह भेल
I एगारह टा बरियाती! खूब स्वागत! बरियाती सब स्वागतसँ अभिभूत!
भोरहरबामे सोहागक
बेर बरियाती जखन आँगन पहुँचल तँ देखलक जे बतहू बीच आँगनमे उघारे देहे चित्त सूतल
छथि आ छातीपर एकटा उक्खैर राखल छन्हि I एकटा बरियाती पूछि बैसलथिन्ह- “ बतहू ई की?”
-“ ई बिध होइ छै!”
सबहक हँसी देख’ जोगड़क!
कन्याक सखी-बहिनपा सबहक ई किरदानी छल!!!
************************************************************