पाँव, पेट, भुजा और
सिर की स्थितियों पर गौर करें तो पाते हैं कि –
1.
पाँव पर
पूरे शरीर का भार है I यह शरीर का आधार है I यह जहाँ चाहे शरीर को ले जाय या यों
कहें कि इसके विना शरीर का चलना-फिरना असंभव है, शरीर पंगु हो जायगा I पाँव शरीर
का जड़ है और शरीर को धरती पर टिकाए हुए है I जड़ विहीन वृक्ष की स्थिति कोई सोच
सकता है ! शरीर का निम्नतम भाग जरूर है लेकिन पूरे शरीर का पोषण इसी जड़ पर आधारित
है I पाँव पर कुछ मुहावरे :- आजकल पाँव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे, पूत के पाँव पालने में, गीता के पाँव भारी हैं.... I
2.
पेट
शरीर के मध्य भाग में स्थित है I भोजन यहीं आता है और पचता है I पचने के बाद उसका
सार तत्व सभी अंगों को आवश्यकतानुसार पहुँच जाता है और सभी अंगों का पोषण होता है
I इसके विना शरीर के अस्तित्व की कल्पना मुश्किल है I मुहावरे :- पेट पूजा, गीता पेट से है, पेटू, पेट कनाह...... I
3.
भुजा ही
तो है जो शरीर की रक्षा करती है और सारे कार्य करती है I यही भुजा कलम भी पकड़ती है
और तलवार भी I शरीर का भरण पोषण इसी के माध्यम से होता है I इसके विना शरीर अधूरा
है I मुहावरे :- भुजा फड़कना.... I
4.
सर
विहीन शरीर कभी किसी ने देखा है क्या ? आँख, कान, नाक, मुँह, जीभ, मस्तिष्क सब
यहीं तो हैं I यह कमांडर का निवास स्थान है I कमांडर की बात शरीर के सम्पूर्ण
अंगों को माननी है I सभी अंगों को मिलकर इसकी रक्षा करनी है I इसीलिए इसे सबसे ऊपर
स्थान दिया गया है I आपातकाल में दोनों भुजाएँ अपने आप सिर के रक्षार्थ उसके ऊपर चली जाती हैं I अघात पहले भुजा पर
होगा, उसके बाद ही सर को चोट पहुँच सकती है I मुहावरे :- सर धुनना, सरदर्द, सर मुड़ाते ओले पड़े.....I