Friday, May 19, 2017

मौलिकता

सोच सार्थक जखन हे'तै
जीवनो सार्थक भ' जे'तै ।
नेगेटिव सोचें ने कथमपि
जिंदगी सार्थक भ' पे'तै ।।
अंध अनुकरनें ने मौलिकता
कनिकबो लाबि पायब ।
अपन मन स' जँ करब
आत्मानुभूतिक स्वाद पायब ।।
तखन जे आनंद आबय
तकर वर्णन भ' सकय नै ।
सात जन्मो मे नकलची
मूल परतर क' सकय नै ।।
शूक्ष्म आ स्थूल दू टा
रूप सबटा वस्तु धारय ।
ठोस द्रव स्थूल, शूक्ष्मक-
रूप गैसक भेष धारय ।।
मूल हिरदय स' निकलिक'
मूर्तता धारण करै अछि ।
ईष्ट के स्थान उर थिक
शूक्ष्म स्थूलें अबै अछि ।।

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