Wednesday, October 8, 2025

आत्म-चिन्तन

आइ एकटा बात याद पड़ि गेल । जखन कोनो बच्चा जन्म लैत छैक तँ ओ बहुत पवित्र होइछ, दुनियाँक छल-कपटसँ बहुत दूर! शनैः शनैः परिवार,समाज द्वारा अपवित्र बनेबाकलेल सांसारिकताक बहुत पाठ पढ़ाओल जाइछ आ ओ घोर संसारी बन' लगैछ । किछु व्यक्ति पूर्व जन्मक तपस्याक कारनें सांसारिकतामे लिप्त नै भ' परमात्मचिंतनमे लागि जाइछ आ जीवन-मरणसँ मुक्ति पाबक दिशामे लागि जाइछ । मुदा, ऐ तरहक व्यक्तिक संख्या नगण्य अछि, लाखो-करोड़ोमे एक-आधे एहन भेटताह । मुदा, एहन अनुभव हमरालोकनि नित्य अनुभव करैत छी, फेरो बिसरि जाइत छी । जखन प्रगाढ़ निद्रामे रहैत छी तँ दुनियाँक कोनों भान नै रहैछ, एते तक जे अपन देहक सहो विस्मरण भ' जाइछ । उठलाक बाद प्रगाढ़ निद्राक आनंदक अनुभव होइछ । ई आनंदानुभूति प्रातःकालमे देरी तक रहैछ, फेर सांसारिक बातसब याद आब' लागैछ आ मोन दुखी होम' लागैछ जे सूत' बेर तक दुखी बनेने रहैछ जे पुनः निंद अयलाक बाद समाप्त होइछ । मुदा, स्वप्नमे सहो बहुत परेशान करैछ ।

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