Thursday, April 16, 2020

कोरोना-1

थोड़े बागड़ लोक सबके गेह नहिं सोहाइत छै
बिना कोनो काजके सबतरि सतत बौआइत छै
घात मे बघबा कोरोना सतत अछि खएबाक लेल
अधकपारी तोड़थि आफन मृत्युमुख जएबाक लेल

संच-मन्चें घर मे बैसल नीक नहिं लागैछ हुनका
बोन-झाँखुर च'र-चाँचर नीक छन्हि लागैत हुनका
देखै छथि निशदिन कोरोना लोक के चाभैत अछि
अभागल सब काल मुखमे जाय लेल भागैत अछि ।।

कैक जन्मक पुण्य सँ ई देह मानव केर भेटय
करू ताकुत खूब यत्नें सतत नहिं ई फेर भेटय
ईश केर मन्दिर बुझी एकरा संरक्षी खूब  यत्नें
व्यर्थ कालक ग्रास नहिं रक्षा करी अतिशय प्रयत्नें ।।

गेह रहि स्वाध्याय लेखन लेल अछि बढियाँ सुअवसर
बाल-बच्चा संग खेलक भेटल अछि बड नीक अवसर
पढी-लीखी ग्रन्थ टीभी मे बिताबी समय अप्पन
बेसाही आफति ने क्यो कुशलें बिताबी समय सदिखन

प्रकृति अपने सँ अपन क्षतिपूर्ति सबटा करि रहल
प्रदूषण भेल खतम निर्मल सरित जल अछि बहि रहल
बोन-झाँखुर जीव सब स्वच्छंद विचरण क' रहल
तते निर्भय जीव भेल जे भ्रमण नगरक क' रहल ।।

पूर्व मे सब मनुख मिलिक' फारि देल ओजोन लेयर
प्रकृति अवसर पाबिक' अछि क' रहल तकरो रिपेयर
हाल दुनियाँ केर देखू  मनुख घर मे बन्द छथि
बाघ हाथी हरिन बानर चिड़ै सब स्वच्छंद छथि ।।
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