Sunday, October 12, 2014

पिता- बेटियाँ


गर्भ से लेकर मृत्यु पर्यन्त पुत्री के हिस्से में कष्ट ही कष्ट प्रदान किया गया है। बेटियां पति/ प्रत्येक पुरुष को पिता को डैटम्  मानकर तौलती हैं। पिता के दुर्गुणों को शून्य कर दीजिये तथा केवल गुणों को रहने दीजिये और तुला के एक पलड़ा पर रखिये। पति/अन्य पुरुषों के  सारे दुर्गुणों सहित गुण  (अर्थात् गुण- दुर्गुन ) को दूसरे पलड़े पर रखिये। अगर पति /अन्य पुरुष का पलड़ा बराबर या भारी है तो ठीक, नहीं तो आप का वैल्यू जीरो है। लेकिन पिता की नजर में पुत्री का मूल्य नेगेटिव टू जीरो है। इसीलिये गर्भ से लेकर मृत्यु पर्यन्त पिता उसके अस्तित्व को नकारने/मिटाने  में लगे रहते हैं। खासकर मैथिल पिता इस मामले में औअल हैं। आधुनिक औषधि विकास का सहारा लेकर गर्भ में ही कन्या-भ्रूण ह्त्या करने में यह समाज प्रथम पाङ्क्तेय है। संयोग से अगर गर्भ में नहीं  मार सका तो जन्म के बाद भी पूरा प्रयास करता है।


     

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