Monday, January 18, 2016

पटना-चेन्नई यात्रा (भाग 1)



पटना स’ चेन्नई के टिकट १० दिसम्बरे के कटल छल. विमल जी हडबडा क’ कटा लेने रहथि ताकि पापाजी सेवा निवृत्ति के तुरत बाद चेन्नई आबि जाइथ आ आराम स’ मीठी’क संग खेलाइथ. मुदा ओ सेवांत लाभ’क प्रकिया स’ अनभिज्ञ छलाह. हमर सब काज बांकिये छल. तैं हमर मोन छल जे दिसंबर के अंत तक जैतहु. संजोग भेलै जे चेन्नई में भयानक वर्षा भ’ गेलैक आ प्रलय काल आबि गेलैक. ट्रेन, बस, हवाई सेवा सब ठप्प. हम विमल जी के कहलिअन्हि जे टिकट एक्सटेंड कराऊ. ओ कहलाह जे कैंसिल कराब’ पडत आ पुनः टिकट कटाब’ पड़त तथा कैंसिल कराब’ के आधा पैसा काटि लेत. हम कहलिअन्हि सेहो मंजूर अछि. मुदा विमलजी एक घंटा वाद-विवाद क’ क’ विना दंड के एक महीना एक्सटेंड करा क’ रह्लन्हि आ १० जनवरी के टिकट भेटलन्हि. संजोग एहन भेलैक जे हमारा बगल के फ़्लैट मे ९ जनवरी क’ चोरी भ’ गेलैक; ११.०० बजे दिने मे. फ्लैट मालिक ड्यूटी में आ मालकिन चिड़ियाखाना गेल छली. चोर शायद पूरा पता लगा लेने छल. संभवतः बेसी गोटे रहल होयत, किऐक त’ बीचे मे गृहपति आबि गेला. मात्र ४५ मिनट के अन्दर चोर चोरी क’ क’ निकलि गेल. भ’ सकैत अछि नीचा मे कोनो आदमी छल हेतै आ गृहपति के कार-पार्किंग करैत काल उपरका चोर के फोन क’ देने हेतै. जं चोर एकसरे रहितै त’ निश्चिते पकडैतय. गृहपति अबै छथि त’ घर के फूजल पबैत छथि. ओ सोचैत छथि जे मैडम छत पर हेती. मुदा ई की? घरक सबटा आलमारी फूजल अछि. समान सबटा छिडिआयल अछि. आब हुनका सक भेलनि. छिटकिनी टूटल देखि चोइर भेल अछि ई कन्फर्म भ’ गेलाह.