Friday, September 20, 2013

मौजेलाल

मौजेलाल  के बच्चे स' देखैत छलिऐक। गीताक सबटा कार-बार वैह सम्हारने छलनि। अपन खास समान्ग सदृश. गीता विधवा भ' गेल छली जखन हुनक एक मात्र संतान  पुनीत  पेटे मे छलनि. हम सब मौजेलाल के पुनीतक जेठ भाय बुझैत छलहु. ओहो ओकरा भैया- भैया कहैत छलैक. भोरे उठिक' प्रतिदिन कनहा पर कोदारि ल' क' ओ खेत पर चल जाइत छल. न' बजे गीता पन्पिआइ ल' क' जाइत छली; तावत् काल तक ओ एक कट्ठा तामि क' तैयार रहैत छल. आमक समय मे बोराक बोरा आम आनिक' डिक क' दैत छल। रंग-रंग के तरकारी- कोबी, सजमनि, रामझिमनी, भाँटा, साग, खीरा,ककरी, फुइट इत्यादि खूब उपजबैत छल। कहियो काल शनि-मंगल क' हाटो पर बेच' ल' जाइत छल।  ततेक रास धान, गहूम, दलहन, तेलहन, रब्बी, भदै उपजबैत छल जे अपना खेलाक बादो बहुत बाँचि जाइत छलैक जकरा बेचिक' आन काज करैत छल. बहुत खुशहाली मे परिवार चलैत छलैक । 
                  हम करमौली स' कपड़िया आ कलुआही आबि गेलहुँ।